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यह राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पृथ्वी पर सदैव सुशोभित रहे
जो वेद शास्त्र पुराण आदि वैदिक वाङ्मय के साथ साथ आधुनिक लौकिक ज्ञान विज्ञान तथा शोध पर गहनता से विचार करनेवाला है। जो मानवीय धर्म, भारतीय संस्कृति की भव्यता तथा दिव्यता को सदैव चमत्कृत करता है। जो बिहार की राजधानी पटना में अपने विद्वद्वैभव से प्रकाशित है।
वैसा यह राजकीय संस्कृत..............

जो भारत के सज्जनों के विश्वकल्याण रुप मनोरथ की पूर्ति में निरन्तर संलग्न है, जो सद्धर्म, सद्भाव आदि से विभूषित तथा मनुष्य मात्र को सत्कर्म के बोध हेतु सदैव तल्लीन है, जो त्याग, शान्ति, दया आदि गुणों से अभिसिञ्चित तथा समस्त कला कुशलता का विस्तारक है,
वैसा यह राजकीय संस्कृत..............

जो साक्षात् माँ सरस्वती, माँ लक्ष्मी तथा भक्त शिरोमणि श्री हनुमान प्रभु की अहैतुकी कृपा से सम्प्रसादित है, जो श्रेष्ठ पूज्य वरिष्ठ दिव्य अनेक महानतम विशारदों द्वारा वन्दित अभिनन्दित है, जो सुन्दर भवन, सुन्दर क्रीडा मैदान तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक समस्त उपकरण आदि से विभूषित तथा भक्ति भावना से ओत प्रोत है
वैसा यह राजकीय संस्कृत..............

जो राष्ट्र का गौरव है, जो सत्य का पालक है तथा जो मातृभूमि का समर्चक है। जो शास्त्र और शस्त्र दोनों विद्याओं की विभा से समलंकृत, ज्ञानियों द्वारा प्रशंसित तथा कवि विद्वानों का सर्जक है। जो निरन्तर अपने नव नव गुणात्मक कार्यों से तथा अपनी विशिष्ट ख्याति से समस्त संसार में सुचर्चित तथा सुशोभित है। जिसका प्रत्येक कार्य शास्त्रहित तथा राष्ट्रहित में श्रुत है।
वैसा यह राजकीय संस्कृत महाविद्यालय पृथ्वी पर सदैव विराजमान रहे।